मालिनी अवस्थी के बारे में -

आज के समय में आपके कानों में लोक संगीत का जो स्वर सबसे मुखर होकर गूंजता है, लोक संगीत को फिर से आंगन की किलकारी बनाने और भारत की पावन संस्कृति की डोर से युवाओं को बांध लाने में जिनकी सर्वाधिक महती भूमिका है, एक ऐसा चेहरा जो भारत की महान लोक परम्पराओं का पर्याय है – वह हैं – मालिनी अवस्थी l

पदमविभूषण विदुषी गायिका स्वर्गीय गिरिजादेवी जी की पट्टशिष्या मालिनी अवस्थी ने कई गुरुओं से संगीत की विधिवत शिक्षा ली l शास्त्रीय संगीत का क ख ग सीखने के बाद माटी की सुगंध के साथ उसका सुंदर  संतुलन जिन्होंने साध दिखाया l कजरी, दादरा, सोहर, बन्ना, झूला और होली, चैती हो या निर्गुण – इन पुरानी गायन शैलियों की नई धज में प्रभावी प्रस्तुति देकर जिन्होंने लोक संगीत में नए प्रयोगों को प्रमुखता दी l

युवाओं के बीच लोक संगीत की पुनर्स्थापना का श्रेय भी मालिनी अवस्थी को जाता है, जिनके प्रयासों के कारण आज युवा पुनः अपनी मिटटी से जुड़े लोक गीतों और लोक कलाओं की सौंधी महक से जुड़ने लगे हैं l अवधी, भोजपुरी, काशिका हो या ब्रज और बुंदेलखंडी, आंचलिकता जिनका स्वर पाकर हंस उठती है l सैंया मिले लरकैयां-मात्र ये तीन शब्द सुनते ही जिनका नाम लाखों कंठों से अनायास ही फूट पड़ता है l

भारत सरकार द्वारा पद्मश्री सम्मानित…यशभारती, उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी और मध्य प्रदेश के राष्ट्रीय देवी अहिल्या सम्मान से जिन्हें सम्मानित किया जा चुका है l देश भर की लोक एवं जनजातीय कलाओं के उत्कर्ष के लिए मालिनी अवस्थी अपनी संस्था “सोनचिरैया” के माध्यम से उल्लेखनीय कार्य कर रही है l

आज दुनिया भर में मालिनी अवस्थी  को उपशास्त्रीय गायन से लेकर फिल्मों में भी ख़ूब सूना जाता है l अध्ययन प्रेम जिन्हें काशी हिंदू विश्वविद्यालय और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के शैक्षिक गलियारों में ले गया और जो संगीत नाटक अकादमी, यूनेस्को व भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद जैसी प्रतिष्ठित संस्थानों से जुड़ी हैं l

सांस्कृतिक कार्यक्रम हों या टीवी पर और देश भर में होने वाले बौद्धिक विमर्श, जिनकी उपस्थिति ऐसे हर आयोजन को गरिमा प्रदान करती है l समाज और राष्ट्रहित में कोई विषय उठाने और उस पर अपनी बात प्रखरता व तार्किकता से रखने में जो कभी नहीं चूकतीं l संस्कृति के पोषण, रक्षण और संरक्षण में  जिनकी रुचि है और इस निमित्त जो सदा सक्रिय रहती हैं. l मालिनी अवस्थी का यह मंच कला, कलाकारों, कला प्रेमियों विशारदों और भारत के अपूर्व, विशिष्ट और महान लोक को समर्पित है।

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